हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया कि धराली की आपदा बादल फटने से नहीं हुई। मौसम विभाग के अनुसार, 4-5 अगस्त को क्षेत्र में केवल 8-10 मिमी बारिश हुई, जबकि बादल फटने के लिए 100 मिमी से अधिक बारिश जरूरी है। वैज्ञानिकों (डॉ. डीपी डोभाल, डॉ. विनीत कुमार गहलोत) का अनुमान है कि भूस्खलन से बनी अस्थाई झील का टूटना, ग्लेशियर का गिरना, या फ्लैश फ्लड इसकी वजह हो सकता है। धराली की संकरी घाटी और ऊंचे पहाड़ों के बीच जमा पानी और मलबे ने तबाही मचाई, जैसा कि 2013 की केदारनाथ और 2021 की ऋषिगंगा आपदा में देखा गया था। सैटेलाइट तस्वीरों और वैज्ञानिक अध्ययन के बाद ही ठोस कारण स्पष्ट होगा।