वहीं दून विवि के नित्यानंद हिमालयन रिसर्च एंड स्टडी सेंटर के प्रो. डीडी चौनियाल के मुताबिक, केदारनाथ की 2013 की आपदा जैसे हालात यहां बादल फटने के बजाय ज्यादा दिखे हैं। उन्होंने कहा कि चौराबाड़ी झील जिस तरह टूटी थी, पानी और मलबे का अचानक सैलाब आया था, धराली में भी ठीक वैसा ही दिखा है। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि बादल फटने पर मलबा आने के बाद तक पानी आता है।